जब आप किसी व्यक्ति या स्त्रोत (जैसे क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों,एनबीएफसी, सहकारी बैंक इत्यादि) से पैसों की राशि उधार के तौर पर :
लेती हैं उससे क़र्ज़ कहते हैं।
यहाँ कुछ फायदे और नुकसान हैं जिन्हें हमें ध्यान में रखना चाहिए-
फायदे | नुक्सान |
क़र्ज़ लेकर आपकी पैसे से जुडी आपातकालीन ज़रूरतों का तुरंत समाधान मिल सकता है।
आप क़र्ज़ लेकर, धीरे धीरे आसान किश्तों में क़र्ज़ को चुकता कर सकती हैं। |
क़र्ज़ लेना जोखिम भरा हों सकता है। इसे समय पर न लौटाकर आप अपनी गिरवी रखी सम्पत्ति खो सकती हैं।
आर्थिक तंगी का क़र्ज़ लेकर निवारण करने से आपको आदत पड़ सकती है और आप क़र्ज़ के पेचीदा जाल में फस सकती हैं। |
आप क़र्ज़ किसी मकसद से और तय ब्याज के साथ तय अवधि के अंदर लौटाने के लिए लेती हैं।
किसी भी क़र्ज़ को चुकाते समय आपको ब्याज भरना पड़ता है। ऐसा कोई क़र्ज़ नहीं होता जिसपर ब्याज न हों। क़र्ज़ की किश्तें ब्याज सहित समय पर न लौटने से पेनाल्टी या दंड राशि भरनी पड़ती है। क़र्ज़ समय पर न चुकता करने पर आप पर कानूनी कारवाही हों सकती है।