माइक्रो क्रेडिट क़र्ज़ माइक्रो फाइनेंस संस्थानों के किन स्त्रोतों से पाया जा सकता है?

  • स्वयं सहायता गुट (सेल्फ हेल्प ग्रुप) एसएचजी : यह वित्त्य सुरक्षा और विकास से जुड़े गुट होते हैं। यह संस्थाएं एनजीओ , बैंक,या सरकार द्वारा निर्मित होते हैं। इनसे आपको छोटी आर्थिक मदद और अपने पैसों का ठीक तरह से इस्तेमाल करने में सहायता मिलती है। यह खासकर महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण करते हैं और उन्हें ग्रामीण सोच और सीमाओं से आगे बढ़ने में मदद करते हैं। ज़्यादातर एसएचजी किसी बड़े समुदाय का हिस्सा होते हैं।

 

  • सहकारी बैंक और कमर्शियल बैंक सहकारी बैंक एक वित्तीय संस्थान है जहाँ उनके ग्राहक संस्था के मालिक की तरह होते हैं। यह बैंक हर प्रकार की बैंकिंग सुविधा देते हैं और इसी से किसी भी बैंक की तरह मुनाफा कमाते हैं।

  • स्माल फाइनेंस बैंक इन्हे कई गजह पाथपेड़ी भी कहते हैं। यह भारत के दूर दराज़ के इलाकों में क़र्ज़ सुविधा प्रदान करते हैं। वे सूक्ष्म और लघु उद्योगों, छोटे व्यापारियों, असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे लोगों और छोटे किसानों को क़र्ज़ की सुविधा देते हैं।

  • रीजनल रूरल बैंक: इन संस्थानों को ग्रामीण बैंक या विकास बैंक भी कहते हैं। यह बैंक भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के स्वामित्व में आते हैं। यह देश के ज़िले,  कसबे और ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय सुविधाएं पहुंचाने के लिए बनाये गए हैं।

एमएफआई से ऋण प्राप्त करने के तरीकों के बारे में जानने के लिए साथ स्क्रॉल करें

अगला अध्याय