माइक्रो फाइनेंस क़र्ज़ के बारे में महत्त्वपूर्ण बातें।

माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं द्वारा क़र्ज़ का ब्याज, बैंक के क़र्ज़ से महंगा होता है: हालांकि माइक्रो फाइनेंस संस्थाऐं संपत्ति गिरवी रखने को नहीं कहती। लेकिन उनसे लिए क़र्ज़ का ब्याज तकरीबन 12 से 16 प्रतिशत होता है। यह इसलिए क्योंकि इन संस्थानों का संचालन खर्च काफी ज़्यादा होता है।

कम से कम जगहों से क़र्ज़: माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं से क़र्ज़ लेते समय इस बात का ध्यान रखें की आपने और किसी संस्था से क़र्ज़ न ले रखा हो। इसका भी ध्यान दें की दूसरे स्त्रोतों से भी आपका क़र्ज़ ₹1 लाख से ज़्यादा न हो।

नियमित आमदनी ज़रूरी है: माइक्रो फाइनेंस संस्थाएं आपसे किसी भी संपत्ति को गिरवी रखने की मांग नहीं करती। लेकिन वे उन्हें ही क़र्ज़ देती है जिसमे उसे लौटाने की क्षमता हो। इसके लिए नियमित आमदनी ज़रूरी होती है।

अपने सारे क़र्ज़ विकल्पों की तुलना करें और तभी चुनें: माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं में भी विभिन्न संस्थाएं होती हैं जो अलग अलग ब्याज दर और नियमों द्वारा चलती हैं। क़र्ज़ के लिए संस्था चुनने के लिए इन सभी संस्थाओं का आंकलन और तुलना करें। माइक्रो फाइनेंस संस्था के अलावा बैंक और पाथपेड़ी इत्यादि में पता करें। अपनी ज़रूरतों के अनुसार संस्था चुनें।

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बधाई हो" - एक मार्गदर्शिक के आखिरी अध्याय का अंत

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