सुमति और लीला सहेलियां हैं। वे दोनों एक कपड़ों की दूकान में सेल्स करती हैं और दोनों की मासिक आमदनी ₹12,000 है।
सुमति अपनी मासिक आमदनी से है महीने ₹1000 अपने स्वस्थ्य बीमा और जीवन बीमा प्रीमियम के लिए भर्ती हैं। यह बीमा उसने अपने और अपने बच्चों के लिए लिया है।
लीला को लगता है की किसी भी तरह का बीमा खरीदने के लिए उसकी आमदनी काफी नहीं है। उसका यह मानना है की वह अगर मासिक आमदनी से बीमा प्रीमियम भरेगी तो उसके रोज़ाना खर्चों के लिए पैसे कम पड़ जाएंगे। उसका निर्णय है की वह अपनी आमदनी बढ़ने का 5 वर्षों तक इंतज़ार करेगी और फिर बीमा खरीदेगी।
एक दिन सुमति और लीला अपना काम कर बस में लौट रही थीं। लेकिन, लौटते समय उनकी बस की सड़क पर दुर्घटना हो गई। सड़क दुर्घटना में वे दोनों गंभीर रूप से घायल हो गई। उन दोनों को अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करना पड़ा।
सुमति को अस्पताल में अच्छा इलाज और सुविधाएं मिली। उसके परिवार को इस इलाज का आर्थिक भार भी नहीं सहना पड़ा। स्वस्थ्य बीमा होने की वजह से सुमति का सारा इलाज लगभग मुफ्त में ही हो गया।
लीला के पास स्वस्थ्य बीमा न होने की वजह से उसका परिवार इलाज का खर्च नहीं उठा पाया। वे लीला को बिना इलाज के घर पर ले आए। उन्होंने ने क़र्ज़ लेकर किसी तरह उसका छोटा मोटा इलाज करवाया। सही इलाज समय पर न मिलने के कारन लीला को अपना पैर गवाना पड़ा।