बधाई हो" - एक मार्गदर्शिक के आखिरी अध्याय का अंत
बधाई हो! आपने इक्विटीज़ पर मार्गदर्शिका सफलतापूर्वक पूरी कर ली है!
इस अध्याय में हम शेयर बाज़ार के बारे में और अधिक जानने जा रहे हैं।
पढ़ते रहते हैं!
कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का गुट, जो कंपनी के निर्माण का महत्त्वपूर्ण हिस्सा रहा है। कंपनी के प्रमोटर्स उससे जुड़े वित्तीय निर्णय लेते हैं और उसकी तरक्की की रूप रेखा भी तय करते हैं। इनके पास कंपनी के सबसे ज़्यादा शेयर होते हैं।
इस क्रिया द्वारा, कंपनी के प्रमोटर अपने शेयर बेचकर, अपना कंपनी पर दावा कम करते हैं। इसमें केवल प्रोमोटरों के शेयर आम निवेशकों के लिए उपलब्ध होते हैं। इसमें कंपनी कोई नए शेयर बाजार में नहीं लाती है।
इन शेयर को खरीदने के लिए बोली लगती है और काफी ईमानदारी के साथ इन्हे योग्य हकदारों को बेचा जाता है।
क्योंकि आप किसी भी शेयर को खरीदकर उसकी मालकिन बन जाती हैं, उसका मुनाफा और नुक्सान आपका भी मुनाफा और नुक्सान होता है। जब कंपनी का मुनाफा उसके शेयर धारकों में बटता है तो उसे डिविडेंड कहते हैं। हर शेयर पर मिलने वाली डिविडेंड राशि का ऐलान कंपनी के तिमाही/सालाना व्यापार रिजल्ट यानि नतीजे आने पर किया जाता है। यह डिविडेंड राशि आपके रजिस्टर किये हुए बैंक खाते में सीधे जमा हो जाती है।
हर बार मुनाफा होने पर कंपनी डिविडेंड नहीं देती है। ऐसे में कंपनी आपके द्वारा लिए गए शेयर की तुलना में आपको अधिक शेयर मिलेंगे।
यह एक कॉनफेरेन्स कॉल की तरह होता है जो कंपनी के प्रमोटरों और आम शेयर धारकों के बीच होता है।
इस कॉल में कंपनी अपने तिमाही व्यापार नतीजे प्रस्तुत करती है। इस कॉल में कंपनी अपने आने वाले महीनों के कार्य, निर्णय और तरक्की की योजनाओं की चर्चा करती है।
यहां हर शेयर धारक को कंपनी के बारे में कोई भी सवाल पूछने का अधिकार होता है। इन सवालों के एक एक करके, कंपनी प्रमोटर जवाब देते हैं।
किसी कंपनी के शेयर खरीदने पर आप उसकी कुछ हिस्से की मालकिन बन जाती हैं।
आपके शेयर हमेंशा ऑनलाइन रूप में ही होते हैं। यह आपके डीमैट खाते में जमा रहते हैं।
किसी भी शेयर को खरीदने के लिए आप अपने ट्रेडिंग खाते से पैसे भर सकती हैं।
बिना बैंक खाते, ट्रेडिंग खाते और डीमैट खाते के आप शेयर नहीं खरीद सकती हैं।
कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का गुट, जो कंपनी के निर्माण का महत्त्वपूर्ण हिस्सा रहा है उन्हें प्रमोटर्स कहते हैं। कंपनी के प्रमोटर्स उससे जुड़े वित्तीय निर्णय लेते हैं और उसकी तरक्की की रूप रेखा भी तय करते हैं।
कभी कभी बहुत मुनाफा करने के बावजूद भी कंपनी डिविडेंड नहीं दे पाती है। ऐसी स्थिति में कंपनी बोनस शेयर देने का निर्णय ले सकती है।
बधाई हो! आपने इक्विटीज़ पर मार्गदर्शिका सफलतापूर्वक पूरी कर ली है!