हम क़र्ज़ अपनी अकस्मात् ज़रूरतें और जीवन में बढ़ोतरी के लिए लेते हैं। लेकिन अक्सर हमे वस्तुएं पसंद आ जाती हैं और हम बिना सोचे समझे आवेग में खरीददारी कर लेते हैं। ऐसा करना बुरे क़र्ज़ को न्योता देने के बराबर है।
विश्वस्तता की परख बुरा होने के कारण भविष्य में आपकी क़र्ज़ अर्ज़ी ना मंज़ूर हो सकती है।
यह आपको कंगाल और दूसरों पर पैसों के लिए निर्भर बना सकता है।
ज़रुरत से अधिक खर्च करने से आपका जीवन नहीं सुधरता।
आप खुद ही नहीं, बल्कि आपका पूरा परिवार क़र्ज़ की चपेट में आ सकता है। इससे उन सभी को कष्ट झेलना पड़ सकता है।
बे-फ़िज़ूल खर्च करने के आपको आदत पड़ सकती है।
एक के बाद एक क़र्ज़ लेते लेते आप क़र्ज़ के जाल में फंस सकती हैं।