क़र्ज़ लेते समय क्या करें और क्या न करें?

बेहतर निर्णय लेने में आपकी मदद करने के लिए उधार लेने के कुछ उपाय और न करें जिन्हें आप ध्यान में रख सकते हैं-

यह करें।  यह करने से बचें।
क़र्ज़ लेने के पहले उसकी वजह तय करें और वह पैसे किस काम में उपयोग होंगे निश्चित करें। जब आपके क़र्ज़ के ब्याज की राशि आपके क़र्ज़ की रकम से ज़्यादा हो ऐसे में क़र्ज़ बिलकुल न लें। अधिक ब्याज दर पर क़र्ज़ लेने से उसे चुका पाने की संभावना कम हो जाती है।
भरोसेमंद सूत्रों से ही क़र्ज़ लें जैसे बैंक। इन सूत्रों में भी अपने लिए सबसे सही क़र्ज़ देने वाले को चुनें। ज़रूरी बातें जैसे ब्याज दर, लौटाने की अवधि और गिरवी रखने की ज़रूरतों की तुलना कर निश्चय करें। किसी भी ऐसे स्त्रोत से क़र्ज़ न लें जहाँ क़र्ज़ को लेकर कोई नियम कायदे न हों या फिर अनावश्यक नियम बनाये गए हों।
तभी ही क़र्ज़ लें जब क़र्ज़ की वजह, क़र्ज़ राशि, लौटाने का समय, ब्याज दर, पैसों का उपयोग सही सही पता हो और आपकी क्षमतानुसार हो। किसी से भी लिए हुए क़र्ज़ को लौटाने के लिए दुबारा क़र्ज़ न लें। इससे आप निश्चित ही क़र्ज़ के जाल में फस सकती हैं।

उधार लिए गए पैसों को चुकाने के सुरक्षित तरीकों के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहें

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