एक बार आपने क़र्ज़ ले लिया तो उसे लौटाना सब से ज़रूरी कार्य बन जाता है। क़र्ज़ को बिना लम्बे कष्ट के चुकता करना और जिस कार्य के लिए लिया है उसमे लगाना ही क़र्ज़ की सफलता है।
- अपने बैंक से क़र्ज़ भुगतान की मासिक राशि को स्वचालित यानी ऑटोमेट कर दें। इससे किश्त भरना भूलने की संभावना नहीं रहती है।
- क़र्ज़ पर कितनी मासिक किश्त भरनी पड़ेगी इसका पहले से अंदाजा लगाएं और इससे भरने की क्षमता होने पर ही क़र्ज़ लें। एक क़र्ज़ लौटाने के लिए दुबारा क़र्ज़ न लें और न ही कोई संपत्ति बेचें।
- ऋण चुकाने से पहले मासिक चुकौती राशि की गणना करें
- हमेशा सरकार द्वारा जारी की गयी योजानाएं और छूट सब्सिडी इत्यादि का लाभ लें और अपने क़र्ज़ के भार को कम करें।