अपनी क्षमता के अनुसार उधार कैसे लें?

“जो अनावश्यक को आवश्यक मान ले, और आवश्यक को अनावश्यक, वे कभी आवश्यकता पूरी नहीं कर पाते हैं। वे सदैव भ्रम और बुरी नीयत के जाल में फस जाते हैं। ” – बुद्ध

पैसे उधार लेना आपके जीवन पर काफी बुरा प्रभाव डाल सकता है। यह आपका आर्थिक जीवन अस्त ट्रस्ट कर सकता है। छोटी सी क्रिया है कभी भी किसी से लिए हुए उधार पर आपको हर महीने कितने पैसे लौटाने होंगे यह देखिये।

इस नुस्खे का इस्तेमाल कीजिये।

1/4 आपकी आमदनी का एक चौथाई हिस्सा निश्चिन्त और क्षमता के अनुसार क़र्ज़।

1/3 आपकी आमदनी का एक तिहाई हिस्सा – अपने मासिक खर्च में नियामत रूप से कटौती करने के लिए तैयार रहिये।

1/2 आपकी आमदनी का आधा हिस्सा – यह क़र्ज़ आपके जीवन को मासिक आमदनी से चलाना कठिन बना देगा। जब तक आप इसे लौटा न दे आप निश्चिंत नहीं रह पाएंगी।

>1/2 आपकी आमदनी के आधे से ज़्यादा हिस्सा – यह बुरा क़र्ज़ है और इसे लेने से आपकी जीवन शैली ठीक तरह से नहीं चल पाएगी। इस लिए इसे नहीं लेना चाहिए।

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    इससे हमें यह सीख मिलती है।

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    आपके लिए हुए क़र्ज़ का आप पर क्या प्रभाव पड़ेगा यह आपकी आमदनी और उसकी तुलना में क़र्ज़ की मात्रा तय करती है।

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    इसलिए आपको हमेंशा अपने क़र्ज़ चुकाने की रकम और अपनी आमदनी की तुलना में मापकर देखनी चाहिए। इसे देखने के बाद ही कोई भी क़र्ज़ लेना चाहिए।

टिपण्णी

 क़र्ज़ लेने के पहले हमेंशा उसके प्रभाव को जानें। क़र्ज़ के साथ साथ क्या कोई सब्सिडी या अन्य कोई छूट उपलब्ध है यह भी जान लें। इससे आपके क़र्ज़ का प्रभाव कम हो सकता है।

हेमा जाया के घर अपने क़र्ज़ के बारे में बात करने आइए थी। वे दोनों एक नज़दीकी चाय बिस्कुट वाली दूकान पर जाती हैं और हेमा के मासिक ख़र्चों का निरिक्षण कर उससे क़र्ज़ लौटाने का समाधान ढूंढती हैं।

आइए सुनते हैं उनकी बातचीत

वहां एक और औरत के चिल्लाने की आवाज़ आती है।  हेमा और जाया एक दूसरे की तरफ देखती हैं। सुषमा काफी परेशान लग रही है।

जाया और हेमा सुषमा की तरफ देखतीं हैं और उसकी बातें सुनती हैं।

उधार लेने के 3 'क' हैं

क़र्ज़ योग्यता क़र्ज़ क्षमता क़र्ज़ व्यवहार
इससे तुम्हारी क़र्ज़ चुकाने की क्षमता का पता लगता है। यह क्षमता तुम्हारे पहले लिए हुए क़र्ज़, जिस वजह के लिए क़र्ज़ ले रही हो उसकी नीव और ताकत और क्रेडिट स्कोर पर निर्भर करता है। इससे तुम्हारी आमदनी और निर्भर परिवार इत्यादि को देखते हुए कारोबार चलाने और क़र्ज़ चुकाने की क्षमता का पता चलता है। तुमने कितने क़र्ज़ लिए हैं और उनमे से कितने भुगतान अभी भी बकाया है इससे तुम्हारे क़र्ज़ व्यवहार का पता लगता है।

सुजाता और हेमा दोनों ने महसूस किया कि यह अच्छी सलाह थी

अगली बार जब तुम बैंक जाओ तो इन विषयों पर क्या बातें करनी हैं वह ध्यान में रखना:

अपने कारोबार की जानकारी – क्या कारोबार है? पैसे किस तरह मिलेंगे? यह क्यों ज़रूरी है?
कारोबार की ताकत – क्या तुम्हारा कारोबार बाजार में टिक पायेगा। जैसे की क्या लोग तुमसे टिफ़िन सेवा लेना चाहेंगे। तुम्हारी इसे कितना बढ़ाने की क्या क्षमता है।
कारोबार में बानी चीज़ों के दाम – क्या यह बाजार के दामों से कम या अधिक है? इससे बनाने के लिए तुम्हारे कितने पैसे खर्च होंगे।
मुनाफा कमाने की क्षमता
खाता चालना और पैसों का लेन देन
तुम्हारा तजुर्बा
कच्ची सामग्री और अन्य उपयोग में आने वाले सामान 

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    इससे हमें यह सीख मिलती है।

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    क़र्ज़ लेते समय हुमेशा दो बैंक खाते होने ज़रूरी हैं। एक खाता क़र्ज़ चुकता करने के पैसे रखने के लिए और दूसरा आपके द्वारा लिया हुआ क़र्ज़ किस प्रकार इस्तेमाल हो रहा है देखने के लिए।

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    क़र्ज़ देते समय बैंक हुमेशा आपकी क़र्ज़ योग्यता, क़र्ज़ क्षमता और क़र्ज़ व्यवहार को जांचते हैं।

उधारी भरे जीवन से कैसे बचा जाए, यह जानने के लिए पढ़ते रहें!

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